पर इसी बीच बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा अशोक पास के एक कस्बे में व्यापार के सिलसिले में गया था वहां के फुटकर व्यापारियों से हिसाब किताब करते रात हो गयी तो उन लोगो ने पड़ोस की एक विधवा अधेड़ औरत चम्पा से गुजारिश करके उसके यहाँ अशोक के रुकने का इंतजाम कर दिया. ये विधवा किसी दूर के गाँव से, अपनी जवान खुबसूरत गदराई भतीजी महुआ जिसके माँ बाप कुछ धनदौलत छोड़ गए थे उसे बेचबांच के ये मकान लेकर रहने के लिए आई थी. अतः ये लोग अशोक की असलियत नहीं जानते थे अशोक को महुआ पसंद आ गई और उसने चम्पा से उसका हाथ मांग लिया और दोनों का विवाह हो गया। सुहागरात को अशोक ने दुलहन का घूँघट उठाया महुआ की खूबसूरती देख उसके मुंह से निकला “सुभान अल्लाह ! मुझे क्या पता था की मेरी किस्मत इतनी अच्छी है।” ऐसा कहते हुए अशोक ने अपने होंठ उसके मदभरे गुलाबी होठों पर रख दिये। महुआ को चूमते समय उसके बेल से स्तन अशोक के चौड़े सीने पर पूरी तरह दब गये थे वो उसके निप्पल अपने सीने पर महसूस कर रहा था ।
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